Making of an Enhanced Yellow Revolution (H)

उत्तरी भारत सर्दियों में पीले रंग का समुद्र सा दिखता है, और ये कमाल का नजारा सरसों की व्यापक खेती की वजह से होता है। ये पीले रंग का नजारा बॉलीवुड की कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में अक्सर दिखाई देता है, लेकिन इस खूबसूरत तस्वीर के पीछे कृषि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत है। उच्च गुणवत्ता वाली सरसों के साथ, नई व अधिक उपज देने वाली और कम अवधि वाली सरसों की किस्में उगाना कोई आसान काम नहीं है। सरसों एक ऐसी फसल है, जिससे स्वादिष्ट और प्रसिद्ध सरसों का साग बनता है, इसे मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है और ये भारत की सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसलों में से एक भी मानी जाती है। इतनी व्यापक खेती होने के बावजूद, भारत खाद्य तेलों का शुद्ध आयातक बना हुआ है और घरेलू उत्पादन इसकी खपत का केवल 30 से 40% ही पूरा कर पाता है। वैज्ञानिक विस्तार लेती एक पीली क्रांति पर काम कर रहे हैं और इस अंतर को पाटने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उनका प्रयास है, कि भारत को तिलहन और खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जाये है। पारंपरिक संकरण, फसलों की बेहतर किस्में बनाने का मुख्य आधार रहा है, लेकिन आधुनिक उपकरण जैसे मार्कर असिस्टेड ब्रीडिंग और जीन एडिटिंग, इसमें एक मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। एक पेचीदा सवाल बना हुआ है, कि क्या भारत को आनुवंशिक रूप से इंजीनियर्ड सरसों को अपनाना चाहिए? भारतीय वैज्ञानिकों ने जीएम सरसों की किस्मों को स्वदेशी रूप से तैयार किया है, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय द्वारा कुछ जीएम सरसों की किस्मों अनुमोदन करने के बावजूद, वे अभी भी किसान के लिए उपलब्ध नहीं हैं। नई दिल्ली में हरित क्रांति का उद्गम स्थल यानी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अब तिलहन उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रहा है, ये संस्थान विशेष रूप से ताप सहिष्णु किस्मों को पैदा करने की कोशिश में लगा है, जो ग्लोबल वार्मिंग का सामना कर सकती हैं।

Related Videos