National Biopharma Mission (H)

बायोफार्मास्यूटिकल अनुसंधान में तेजी : राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन। यदि दवा और टीके की खोज को उपयोग में लाने लायक उत्पाद में तेजी से बदलना है, तो लोगों के दिलो-दिमाग को जीतना बेहद जरूरी है। इस अंतिम पड़ाव में तेजी लाने के लिए भारत ने 2017 में 1500 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन को शुरू किया था, ताकि दवा की खोज को बढ़ावा दिया जा सके और देश के चुनिंदा स्थानों पर इसका नैदानिक परीक्षण किया जा सके। राष्ट्रीय मिशन लगभग 175 करोड़ रुपयों की लागत वाला प्रोजेक्ट है, जो विश्व बैंक और भारत सरकार द्वारा आधा-आधा वित्त-पोषित है। इसके लिए लगभग एक दर्जन स्थानों की पहचान की गई है, जिनमें से एक हरियाणा के पलवल में है। नवंबर, 2020 में पलवल में एक राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने, ये सीखने और जानने के लिए इसमें भाग लिया, कि समुदाय के लिए जनसांख्यिकीय विश्लेषण कैसे किया जाता है और कोविड -19 टीकों के नैदानिक परीक्षणों के लिए लोगों को कैसे तैयार किया जाए। पलवल पहले से ही रूसी वैक्सीन Sputnik Covid-19 के तीसरे चरण के परीक्षण का हिस्सा है, जिसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। डॉ. कविता सिंह एक प्रशिक्षित चिकित्सक हैं और उन्हें चिकित्सा उद्योग जगत का काफी अनुभव है और वे पांच साल तक चलने वाले लगभग 175 करोड़ रुपयों की लागत वाले मिशन का नेतृत्व कर रही हैं। भारत 1 लाख करोड़ रुपये का बायोटेक उद्योग केंद्र बनने का लक्ष्य हासिल करना चाहता है और राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन इसका एक बड़ा उत्प्रेरक है।

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