Masking India, Saving the World (H)

`Masking India, Saving the World’! के इस एपिसोड में, महिला सशक्तिकरण को दर्शाया गया है। भारत समेत पूरा विश्व अभी भी कोविड -19 महामारी से जूझ रहा है, क्योंकि अभी तक कोई टीका या दवाई उपलब्ध नहीं है। ऐसे में, कोविड-19 संक्रमण को रोकने का एकमात्र स्थायी तरीका है - मास्क का समुचित उपयोग। हममें से बहुत से लोगों को `Masking India, Saving the World’! की कहानी के बारे में पता नहीं है। दरअसल, घरों में निर्मित मास्क का उपयोग करने में भारत सबसे आगे है। 30 मार्च, 2020 को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी के कार्यालय ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए घरों में निर्मित मास्क का उपयोग करने के बारे में पहला परामर्श जारी किया था। जिस शख्सियत ने इस अभियान का नेतृत्व किया, वे हैं प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की वैज्ञानिक और सदा मुस्कान बिखेरने वाली डॉ. शैलजा वैद्य गुप्ता। एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी—बस्ती धारावी में जो कुछ वह देख चुकी थी, उससे थोड़ा निराश थी और इसका एक आसान सा घरेलू समाधान निकालना चाहती थी। भारत मास्क का उपयोग करने पर जोर देने वाला दुनिया का पहला बड़ा देश बन गया है। इसे अब 'सामाजिक टीका' कहा जाता है। गुलमेहर में पुनर्वासित कचरा बीनने वाली महिलाओं की एक सहकारिता है, जो अपना गुजर—बसर करने के लिए किफायती मास्क बनाती है। नैनोसेफ सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा का एक स्टार्ट-अप है, जिसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,दिल्ली से सहायता प्राप्त है। इस कंपनी ने उन्नत किस्म के ऐसे मास्क तैयार किए हैं, जिनमें तांबे के सूक्ष्म-कणों का उपयोग किया गया है। ये मास्क वायरस को रोकने में असरदार है। Masking India सही मायनों में आत्मनिर्भर भारत की सच्ची कहानी है।

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