Challenges of Forecasting Weather in the Mountains (H)

उष्णकटिबंधीय पहाड़ों में सटीक मौसम पूर्वानुमान लगाने में सबसे बड़ी बाधा, खुद मौसम का मिजाज होता है। क्या मौसम की भविष्यवाणी करना एक कला या विज्ञान है, या फिर अभी भी ये काफी कुछ मानवीय कौशल पर निर्भर करता है ? मौसम का पूर्वानुमान लगाना चुनौतियों से भरा है, वैसे भी उष्णकटिबंधीय मौसम प्रणाली बहुत अव्यवस्थित है। लेकिन इसमें बड़ी चुनौती तब आती है, जब पूर्वानुमान पर्वतीय क्षेत्रों में लगाना होता है। इसके लिए अभी भी काफी कुछ पता लगाना बाकी है, फिर भी मौसम के मिजाज को समझने की प्रणाली में दिन-ब-दिन सुधार हो रहा है।   श्रीनगर का मौसम केन्द्र उच्च तकनीक डॉपलर रडार सहित, मौसम के पूर्वानुमान में सहायक कुछ बेहतरीन उपकरणों से सुसज्जित है। श्रीनगर में ये हैरानी की बात हो सकती है, कि कश्मीर की इस सुविधा के प्रमुख, श्री सोनम लोटुस को उनके सटीक पूर्वानुमान कौशल और मिनलसार स्वभाव के कारण अक्सर 'पीर लोटुस' के रूप में जाना जाता है। विस्तृत क्षेत्र का पूर्वानुमान देने के क्रम में, इस वेधशाला ने अमरनाथ यात्रा मार्ग के लिए भी पूर्वानुमान जारी करना शुरू किया है। जलवायु बदल रही है, जिससे चुनौतियां भी बढ़ी हैं, बदलती जलवायु ने मौसम की भविष्यवाणी को और भी जोखिम भरा बना दिया है। 2014 की विनाशकारी कश्मीर बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी करना आसान नहीं है।   श्री लोटुस, भी कश्मीर की उस अभूतपूर्व बाढ़ के गवाह रहे हैं, उनका कहना है, कि वो घटना मूल रूप से प्राकृतिक थी, लेकिन बाढ़ क्षेत्र  में बड़े पैमाने पर अनियोजित शहरी विकास ने उस घटना को ज्यादा विनाशकारी बना दिया। भारत अब बारिश की ज्यादा से ज्यादा घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए, हिमालय में डॉपलर रडार की एक श्रृंखला तैनात करना चाहता है। लद्दाख के रहने वाले श्री लोटुस का कहना है, कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र पर इसका असर पहले से ही दिख जाता है।"

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