Purple Revolution Unfolds in Kashmir Himalayas (H)

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एक 'पर्पल रिवोल्युशन' चल रहा है। नई सुगंध वाली फसल के रूप में, लैवेंडर की खेती कश्मीर के हिमालय में तेजी से हो रही है। लैवेंडर को वैश्विक इत्र उद्योग में बड़ी कामयाबी मिली है। भारत में लैवेंडर की ज्यादा खेती नहीं हुई है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ही सीएसआईआर ने लैवेंडर की खेती का विस्तार करना शुरू कर दिया है। इन फूलों से निकाला गया सुगंधित तेल 10,000 रुपये प्रति किलो से ऊपर बिक सकता है। लैवेंडर के पौधे को भारत के लिए प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया है। यह एक सख्त पौधा है, जो बंजर भमि पर भी उग सकता है। इसके अलावा इसमें कीट और रोग प्रतिरोधी क्षमता भी होती है। एक बार लगने के बाद, इससे तीसरे वर्ष तक लैवेंडर का तेल निकाल सकते हैं, यह सख्ती से मौसम को झेल सकता है, इसलिए 2 दशकों तक इसकी फसल मिल सकती है। इसके बैंगनी रंग के फूल खेतों को एक विशिष्ट बैंगनी रंग देते हैं। यह ऐसा पुष्पक्रम है, जो साधारण जल वाष्प आसवन से तेल पैदा करता है। इसके इत्र को, साबुन और खाद्य पदार्थों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लैवेंडर के तेल का उपयोग अरोमा थेरेपी में भी किया जाता है। एक एकड़ में किसान लैवेंडर की खेती करके आम फसल की तुलना में पांच गुना अधिक कमाई कर सकते हैं। तेजी से बढ़ रही यह उच्च मूल्य की फसल, आर्थिक रूप से कमजोर एवं शिक्षित बेरोजगार युवाओं को, लाभकारी रोजगार उपलब्ध कराकर, कश्मीर के समग्र विकास का अवसर भी प्रदान कर रही है। भारत आज लैवेंडर तेल का आयातक है। लेकिन भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान जम्मू अपनी विस्तृत गतिविधियों के माध्यम से, भारत को लैवेंडर तेल का निर्यातक बनाने के लक्ष्य पर कार्यरत है।

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