400 Years of Telescope (H)

इस वीडियो के माध्यम से हम खगोलविज्ञान के विकास में दूरबीन के योगदान की चर्चा करेंगे। वर्ष 1609 में गैलीलियो गैलीलि द्वारा विकसित की गई दूरबीन ने खगोल विज्ञान की दिशा ही बदल दी। एक साधारण से दिखने वाले शीशे के इस यन्त्र ने, एक नए युग की शुरूआत की। और हमें एक ऐसी दुनिया के दर्शन कराए जो हम अपनी खुली आंखों से नहीं देख पा रहे थे । 1609 से पहले, हम सिर्फ आखों से दिखने वाले आकाश को ही ब्रह्माण्ड समझते थे। तब हमारी नजर सिर्फ 5 ग्रहों, चन्द्रमा और कुछ हजार तारों को ही देख पा रही थी। लेकिन दूरबीन ने हमें उस ब्रहांड के दर्शन कराए जिसकी हमनें कल्पना भी नहीं की थी। आकाश में इतने तारे हैं जितने शायद सहारा रेगिस्तान में फैले रेत के कण या उनसे भी ज्यादा । यहां लगातार नए सितारों का जन्म हो रहा है। जो सूरज से भी विशालकाय तारे हैं। ब्रहांड में करोड़ों मंदाकिनियां हैं जो लगातार एक-दूसरे से दूर जा रही हैं। हालांकि दूरबीन का आविष्कार एक सयोग ही था। इसका श्रेय जाता है हालैण्ड निवासी हैंस लिप्पर्ष को जो चश्मा बनाने का काम करते थे। दूरबीन की खोज की खबर जल्द ही पूरे यूरोप में फैल गयी। आरंभ में इसका उपयोग दुश्मनों की गतिविधियों को देखने के लिए होता था या फिर लोग मन बहलाने के लिए गिरिजाघरों के गुम्बद और समुद्र में आते जहाजों की ओर देखते थे। इसकी खबर भौतिकविज्ञानी गैलिलियों को भी लगी। उन्होंने इसका उपयोग अपने प्रयोगों में किया। उन्होंने पहले दूरबीन से चंद्रमा को देखा। चंद्रमा की सतह उन्हें उबड़-खाबड़ दिखायी दी। फिर तो उन्होंने एक के बाद ग्रहों, तारों को अपने अध्ययन का केंद्र बनाय। इसके बाद में विभिन्न आकाशीय पिंड़ों की खोज का सिलसिला आज तक थमा नहीं है। आधुनिक समय में अत्याधुनिक दूरबीनों के विकास से खगोलविज्ञान में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं।

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