Planetary Paths (H)

इस वीडियो में हम ग्रहों की गति संबंधी नियमों को समझेंगे। दूरबीन के आविष्कार से पहले ही आकाशीय पिंडों और उसकी गतिविधियों का जिस तरह से टायको ब्राहे ने निरिक्षण और अध्ययन किया वो बेमिसाल है। टायको ने अपने शोध और सर्वेक्षण के लिए एक बड़ी शोधशाला का निर्माण किया। इस्लामिक निरिक्षणों को ध्यान में रखते हुए, टायको ने जो अपने खुद के उपकरण ईजाद किये थेय वह उन्हें लेकर रात-रात भर आसमान का सर्वेक्षण करने में जुट गये। कुछ ऐसे ही सर्वेक्षणों के द्वारा हम अपनी पृथ्वी और ब्रह्माण्ड के बारे में काफी कुछ जान पाये हैं। सोलहवीं सदी के आखिर में टायको ने जोहानस केपलर को अपना सहायक बनाकर उनके साथ तर्क-वितर्क शुरू कर दिया था। गणित विज्ञान से टायको के निरिक्षणों को जोड़कर केपलर ने नये सिरे से उनकी समीक्षा शुरू की। केपलर ने ग्रहों की गति संबंधी नियम दिए। केपलर ने तीन नियम बताए जिनसे ग्रहों की गतिविधियों को सहजता से समझा जा सकता है। पहले नियम के अनुसार हर ग्रह सूर्य के चारों तरफ एक वृत्तीय आकार की कक्षा में घूमता है जिसके एक फोकस पर सूर्य होता है। केपलर के दूसरे नियम के अनुसार जब कोई ग्रह अपनी कक्षा में घूमता है तो सूर्य से उस ग्रह को जोड़ने वाली सीधी रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल तय करती है। इसका तात्पर्य यह है कि जब ग्रह सूर्य के करीब होगा तो उसकी गति तेज होगी। जैसे ही यह सूर्य से दूर होता जायेगा उसकी गति कम होती जायेगी। केपलर के तीसरे नियम के अनुसार किसी भी ग्रह के लिए सूरज से उसकी औसत दूरी का क्यूब और उसके कक्षा में घूमने के समय का वर्ग का अनुपात एक समान होता है। खगोलशास्त्र में केपलर को एक खास स्थान प्राप्त है। इसकी वजह यह है कि ग्रहों की गति को लेकर उनका सिद्धांत सबसे कारगर रहे जिसकी मान्यता आज तक बरकरार है। केपलर के ये तीन नियम सभी ग्रहों पर लागू होते हैं जिनके कारण हम आज सभी ग्रहों की गतियों बारे में जानते हैं।

Related Videos