Death of Stars (H)
इस वीडियो में तारों के जीवन के अंतिम हिस्से के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है। हमारी पृथ्वी पर जीवन का आधार सूर्य है। लेकिन एक समय लगभग पांच सौ करोड़ साल बाद हमारा सूर्य मर जाएगा। असल में हर तारा एक समय के बाद मर जाता है। हर तारे में नाभिकीय अभिक्रिया होती रहती है। हाइड्रोजन हीलियम में बदलता रहता है। इस संलयन अभिक्रिया में कुछ द्रव्यमान ऊर्जा में बदलता है। यही ऊर्जा फोटोनों के रूप में बाहर की तरफ बढ़ती हुई गुरुत्व का सामना करती है। तारों का पूरा जीवन गुरुत्व और बाहर ढकेलने वाले दबाव जैसे बलों के बीच संतुलन की कहानी होता है। गुरुत्व भारी पड़ा तो तारे का पतन (colaps) हो जाएगा और दबाव जीत गया तो तारा फूट जाएगा। भारी भरकम तारों का जीवनकाल छोटा होता है। उनमें हाइड्रोजन बहुत तेजी से हीलियम में बदलता रहता है। ऐसा सौर द्रव्यमान से 10 से 20 गुना अधिक भार वाले तारों में होता है। सूरज जैसे छोटे और मध्यम आकार के तारों की तरह ये भी रेड जाइंट तारे बनते है। अंतर केवल इतना होता है कि ऐसा बनने में बहुत कम समय लगता है। प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सुबह्मन्यन चंद्रशेखर ने तारों की विकास प्रक्रिया का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने बताया था कि यदि किसी तारे की कोर का द्रव्यमान 1.4 सौर द्रव्यमान से कम है तो वह व्हाईट डवार्फ तारा बनेगा। लेकिन अगर द्रव्यमान 1.4 सौर द्रव्यमान से अधिक होगा तो उसका अंत न्यूट्रॉन तारे या ब्लैक होल के जैसा होगा। खगोलभौतिकी में इस नियम को चंद्रशेखर नियम के नाम से जाना जाता है।