27 June 2021 - BRO Strengthening Sikkim Bridge by Bridge (H)

विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत की दो-भागों की ये श्रृंखला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है। जमीनी स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जाता है, इसे देखने के लिए हमने रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना के एक अभिन्न अंग, सीमा सड़क संगठन के साथ हिमालय की गोद में बसे दिलकश राज्य सिक्किम की यात्रा की। भारत के उत्तर पूर्वी राज्य सिक्किम को कुदरत की लुभावनी पर्वतमालाओं के परिदृश्य, उपोष्णकटिबंधीय जलवायु, समृद्ध जैव विविधता और दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वतीय शिखर कंचनजंगा का उपहार मिला है। लेकिन इस तरह की जलवायु और भौगोलिक विशेषताएं, बीआरओ के इंजीनियरों के सामने कठिन चुनौतियां पेश करती हैं। इन इंजीनियरों के कंधों पर, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की सीमा पर बसे, इस सामरिक महत्व के इस राज्य में सड़क और पुलों के निर्माण की जिम्मेदारी है। साथ ही उन्हें पूरा साल, दुनिया के कुछ सबसे ठंडे और ऊंचाई पर बसे हमारे सैनिक ठिकानों के लिए सुलभ बनाना है। इस एपिसोड में हम गहराई से जानेंगे, कि कैसे भारत की सेनाएँ सिक्किम में, सीमा सड़क संगठन की स्वास्तिक परियोजना के तहत सड़कों और पुलों का निर्माण कर रही है। और नई तकनीकों से पुलों के आकार और भार क्षमता को उन्नत बनाने के लिए काम किस प्रकार कर रही हैं। कैसे नई सामग्री और निर्माण की तकनीकें, पहाड़ों के धंसने वाले क्षेत्रों को स्थिर बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। हम उत्तरी सिक्किम के मुंशीथांग की यात्रा भी करते हैं, जहां बीआरओ ने 4 महीने के रिकॉर्ड समय में तीस्ता नदी पर 360 फीट का बेली सस्पेंशन ब्रिज बनाया है। पहले इसी स्थान पर बना 180 फुट लम्बा पुल बादल फटने से बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था । भारत के उत्तर पूर्व में , खासकर सीमावर्ती राज्यों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के महत्व को कम नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे न केवल स्थानीय लोगों को आर्थिक अवसर मिलते हैं बल्कि इससे हमारे देश की सैन्य तैयारी और ताकत भी बढ़ती है। इसके अलावा भी काफी कुछ देखिए, विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत में, केवल इंडिया साइंस पर।

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