The Microbiome: Understanding the Microbes That Live In Humans (H)

यह बात आपको हैरान कर सकती है, कि मानव शरीर में इंसानी कोशिकाओं की तुलना में माइक्रोबियल कोशिकाओं की संख्या ज्यादा होती है। यानी सूक्ष्मजीवों की संख्या मानव कोशिकाओं से अधिक है, इनमें से अधिकांश सूक्ष्मजीव हमारी आंतों में रहते हैं, लेकिन वे त्वचा से लेकर मुंह और नाक तक मानव शरीर के सभी खुले भागों में अपना डेरा डाले हुए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, कि मानव और सूक्ष्मजीवों की यह परस्पर निर्भरता, इंसान और मित्र सूक्ष्मजीवों, दोनों के लिए लाभदायक है। हमारी आंतो में लगभग एक किलो सूक्ष्मजीव वास करते हैं और इसे ही माइक्रोबायोम कहा जाता है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के टीसीएस रिसर्च के वैज्ञानिक रोगग्रस्त और सामान्य माइक्रोबायोम का विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि शुरुआती नैदानिक ​​​​संकेतों और बीमारियों के कारकों का पता लगाया जा सके। वे कोलोरेक्टल कैंसर, मधुमेह, समय से पहले प्रसव आदि के संकेतों को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं। अध्ययनों से पता चला है, कि कुपोषित बच्चे का माइक्रोबायोम स्वस्थ बच्चे के माइक्रोबायोम से बिल्कुल भिन्न होता है। यह हैरानी की बात हो सकती है, कि एक आईटी कंपनी टीसीएस, जीवन विज्ञान पर काम कर रही है। लेकिन विश्लेषण में भारी भरकम कंप्यूटिंग का उपयोग किया जाता है, जिसमें विशाल डेटा, एल्गोरिदम और डिजिटल विश्लेषण शामिल हैं, मेटागेनॉमिक्स का यह विश्लेषण भारत की सबसे प्रसिद्ध आईटी सेवा प्रदाता कंपनी के लिए काफी सरल बन जाता है। मानव शरीर में रहने वाले सूक्ष्मजीवों और स्वयं मनुष्यों ने एक ऐसी लाभदायक स्थिति बना ली है, जिसमें दोनों को ही अत्यधिक फायदा है।

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