Virus Hunters Map the Corona Genome (H)

कोविड -19 की महामारी, 18 महीनों से भी अधिक समय से, दुनिया को तबाह कर रही है। भारत के बेहतरीन और कुशल वायरस हंटर्स, महामारी पर काबू पाने की कोशिश करते हुए, कोरोना वायरस के जीनोम को ट्रैक और मैप करते हैं। सार्स-कोव-2 और इंसानों के बीच, इस चूहे बिल्ली के खेल में, जैसे जैसे इंसान वायरस पर नियंत्रण की कोशिश करता है, तो वायरस भी अपना रंग—ढंग बदल लेता है। वायरस में वेरिएंट क्यों विकसित होते हैं? वेरिएंट की पहचान कैसे की जाती है? फिलहाल वायरस के कम से कम चार व्यापक वैरिएंट, अल्फा, गामा, बीटा और डेल्टा से हम परिचित हैं। भारत में पाया गया, एक संस्करण डेल्टा प्लस भी है। वैज्ञानिकों का कहना है, कि स्मार्ट सैंपलिंग पद्धति से भारत ने वायरस के 35,000 से अधिक व्यक्तिगत जीनोम की मैपिंग की है। लागों के टीकाकरण की प्रमुख नियंत्रण रणनीति पर वैरिएंट के विकास के क्या निहितार्थ है? क्या सभी अधिकृत टीके, सभी प्रकार के वैरिएंट पर काम करते हैं? सार्स कोव 2 वायरस के जीनोम की सीक्वेंसिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें मैनुअल वेट लैब तरीका काम करता है, हालांकि इसमें काफी बहुत कुछ स्वचालित भी होता है। आइये, इस नए आरएनए वायरस के जीनोम को अनुक्रमित करने की उच्च तकनीकी प्रक्रिया को करीब से जानें, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात, इस बात को समझना है, कि आखिरकार महामारी का अंत कैसे होगा।

Related Videos