Tackling Corona: The Moving Target (H)

दुनिया को एक छोटे से वायरस ने काफी पीड़ा दी है, हर बार उम्मीद की किरण दिखाई देती है, कि कोविड-19 महामारी समाप्त हो जाएगी। लेकिन सार्स कोव—2 वायरस गिरगिट के समान रूप बदल कर अपने हथियारों को बदलता है और फिर से मानवता पर हमला कर देता है। पहले आरंभिक स्ट्रेन ने डराया, फिर भारत में डेल्टा स्ट्रेन ने तबाही मचाई और आज यह ओमिक्रॉन वेरिएंट के रूप में संक्रमण फैला रहा है। वायरस के उत्परिवर्तन को ट्रैक करना आसान नहीं है। वायरस की आनुवंशिक सामग्री का जीनोम अनुक्रमण वायरस के विकास पर नज़र रखने का एक तरीका है। लेकिन संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण में काफी समय लगता है और ये एक थकाऊ प्रक्रिया है, इसलिए भारतीय वैज्ञानिकों ने वायरस और इसके विभिन्न प्रकारों को ट्रैक करने के लिए, एक सैंपलिंग टेकनीक विकसित की है। वायरस के नए वेरिएंट सामने आएंगे, लेकिन उन्हें विफल करने के लिए तैयार रहना ज्यादा जरूरी है। भारत ने महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए, कड़ी मेहनत की है और आज भारत मे बने फर्स्ट जनरेशन टीको जैसेकि कोवैक्सीन और कोविशील्ड की 150 करोड़ से अधिक खुराक भारतीयों को दी जा चुकी है। लेकिन चालाक ओमिक्रोन वेरिएंट, प्रतिरक्षा को चकमा देकर नए संक्रमण पैदा कर रहा है। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है, कि टीके लोगों को गंभीर बीमारियों से बचा रहे हैं। फिलहाल भारतीय वैज्ञानिक दूसरी पीढ़ी के ऐसे टीकों पर भी काम कर रहे हैं, जो इस बीमारी को नियंत्रित करने में और भी ज्यादा शक्तिशाली साबित होंगे। जैसे-जैसे इस नोवल कोरोना वायरस पर हमारी समझ विकसित होती रहेगी, वैसे-वैसे एंटी-वायरल आधारित विज्ञान प्रभावी समाधान भी सामने आएंगे। कोविड -19 महामारी से लड़ने और इसे समाप्त करने के लिए, इस बात पर नज़र रखना आवश्यक है, कि वायरस कैसे उत्परिवर्तित हो रहा है। ये काम आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं है, क्योंकि भारत के पास, 2025 तक, खुद को 10000 करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में अनुसंधान और विकास करने के लिए एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है। आखिरकार `करोना हारेगा और देश जीतेगा!'।

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