Bio-Fortified Maize (H)

मकई या मक्का भारत की एक महत्वपूर्ण अनाज फसल है, भारत में हर साल इसका लगभग 2 करोड़ 70 लाख टन उत्पादन होता है। मक्का एक विशेष पौधा है, जो गेहूं और चावल की तुलना में सी4 पाथवे के उपयोग से, कहीं अधिक फोटो संश्लेषण करने में माहिर है। प्रोटीन के मामले में अनाज आमतौर पर समृद्ध नहीं होते, लेकिन अब आईएआरआई यानी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने बायो-फोर्टिफाइड मक्के की ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो लाइसिन, ट्रिप्टोफैन में समृद्ध हैं और इनमें विटामिन ई के साथ साथ प्रो-विटामिन ए की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है। संस्थान ने बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न, मोमी कॉर्न, पॉपकॉर्न की नई किस्में भी विकसित की हैं। कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, किसानों के लिए आईएआरआई में विकसित तीन जैव-फोर्टिफाइड मकई की किस्मों को राष्ट्र को समर्पित करने की सराहना की। मक्के से जैव-इथेनॉल और कॉर्न सिरप का उत्पादन भी होता है। उच्च प्रोटीन, विटामिन और खनिज युक्त मक्का, इंसान में कुपोषण को दूर करने में मदद कर सकता है, और यह मुर्गी पालन के लिए ज्यादा पौष्टिक चारे के रूप में भी काम करता है। ये किस्में गैर आनुवंशिक रूप से संशोधित हैं, जिन्हें पारंपरिक कृषि आधारित संकरण तकनीकों के साथ आणविक संकरण से विकसित किया गया है। विश्व स्तर पर मकई के उत्पादन ने चावल और मक्का के उत्पादन पर अधिकार कर लिया है। मकई को एक ऐसा पौधा माना जाता है, जो बदलती जलवायु में भी अच्छे परिणाम दे सकता है।

Related Videos