Exoplanets (H)

इस कड़ी में सौरमंडल के बाहर के खगोलीय पिंड़ों पर विस्तार से चर्चा की गयी है। 19वीं शताब्दी के मध्य से ही सौरमंडल से बाहर के ग्रहों की खोज पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। सितंबर 2009 तक 373 ब्राह्य ग्रहों को खोजा जा चुका है जो 300 से अधिक अलग-अलग तारों की परिक्रमा कर रहे हैं। रेडियो खगोलविज्ञानी अलेक्जेंडर वोल्सजेन और डेले फ्रेल ने सन् 1992 में सबसे पहले एक ब्राह्य ग्रह को खोजा। यह ग्रह एक पल्सर का चक्कर लगा रहा था। मौटे तौर पर ब्राह्य ग्रहों को खोजने के लिए दो मुख्य तरीके उपयोग किए जाते हैं पहले को डॉप्लर प्लेनेट सर्वे और दूसरे को ग्रेविटेशन माइक्रोलेसिंग कहते हैं। 1995 में खोजे जाने वाले पहले ब्राहयग्रह को डॉप्लर प्लेनेट सर्वे की मदद से ही खोजा जा सका था। ग्रहों को खोजने के एक ओर तरीके को एस्ट्रोमिट्री कहा जाता है। साधारण तौर पर हमें तारे स्थिर नजर आते हैं क्योंकि ये हमसे काफी दूर होते हैं। अभी तक ज्यादातर खोजे गए ब्राह्यग्रह अपनी पृथ्वी से बहुत बड़े हैं। वैसे अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है कि सौर मंडल के बाहर पृथ्वी जैसे जीवनदायी ग्रह भी हैं या नहीं? सन् 2009 में नासा द्वारा प्रक्षेप्ति केप्लर स्पेश मिशन का उद्देश्य यह दूसरे तारों के इर्द-गिर्द चक्कर रहा रहे पृथ्वी जैसे ग्रहों को खोजना था। आज भी अनेक शोधकर्ता सौरमंडल से बाहर नए ग्रहों को खोजने में लगे हुए हैं।

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