The Gas Giants (H)
इस कड़ी में हम सौर मंडल के गैसीय ग्रहों के बारे में जानेंगे। सूर्य से करीबन 78 करोड़ किलोमीटर दूर विशालकाय वृहस्पति ग्रह स्थित है। इसमें करीबन 1300 पृथ्वियां समा सकती हैं। भार से तुलना की जाए तो यह पृथ्वी से करीबन 300 गुना भारी है। हालांकि इतने अधिक आकार के बाद भी यह अपनी धूरी पर केवल 10 घंटों में ही घूम लेता है। सन् 1977 को नासा ने वृहस्पति के अध्ययन के लिए एक अंतरिक्ष यान भेजा था जिससे प्राप्त तस्वीरों की इस ग्रह के बारे में अहम जानकारी मिली। इस ग्रह के रिंग यानी वलय धूल और छोटे-छोटे पत्थरों से बने होने के कारण पृथ्वी से नजर नहीं आते। सन् 1610 में गैलिलियो शनि के घेरों को देखने वाले पहले इंसान थे। सन् 1665 में प्रसिद्ध डच खगोलविज्ञानी क्रिश्चियन ह्यु्रेनस् ने अपने द्वारा बनाए गए उस समय के अति विकसित दूरबीन के साथ शनि को घेरे हुए शानदार रिंग्स की पुश्टि की थी। सन् 1895 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक जेम्स केलेर ने यह साबित कर दिया कि शनि के रिंग्स के अलग-अलग घेरे अलग-अलग गति से घूम रहे हैं। सूर्य से औसतन 143 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित शनि ग्रह पृथ्वी से नौ गुना बड़ा है। शनि ग्रह का घनत्व सौर मंडल में सबसे कम है। शनि के पहले उपग्रह टाइटन को सन् 1655 में खोजा गया था। बाद में इसके और भी उपग्रह खोजे गए। सन् 1718 में प्रसिद्ध खगोलविद् विलियम हर्षेल ने सौरमंडल के सातवें ग्रह यूरेनस की खोज की। यूरेनस के 30 उपग्रह हैं। यूरेनस का वातावरण ज्यादातर शांत रहता है। गैसीय ग्रहों में सबसे कम तूफान यहीं आते हैं। सौरमंडल के आठवें ग्रह नेप्च्यून को 1846 में खोजा गया। सौर मंडल के आठवें ग्रह नेप्च्यून का व्यास 49,495 किलोमीटर है। नेप्च्यून के 13 उपग्रह हैं।