Galaxies (H)

जब हम धरती से देखते हैं, तो सितारे कभी अकेले तो कभी झुंड में दिखते हैं। पर पूरे ब्रह्माण्ड को देखें तो पता चलता है कि, बहुत सारे तारे समुह में रहते हैं। इसी समुह या झुंड को हम मंदाकिनी कहते हैं। गेलिलियो ने, दूरबीन या टेलिस्कोप के आविष्कार के बाद, इस सफेद धुंधले पट्टे में बहुत से सितारों को देखा था। वे जल्दी ही इस नतीजे पर पहुंच गये कि आकाशगंगा बहुत से तारों का झुंड है। अठ्ठारहवी शताब्दी के अन्त में एक जर्मन दार्शनिक इम्मूयल केंट और उनके बाद खगोलविद् विलियम हर्शेल ने निश्चिम तरीके से आकाश में तारों के घूमने और उनकी दिशा का सही मूल्यांकन किया था। अमरिकी खगोलविद् एडविन हब्बल ने 100 इंच की दूरबीन से खोज निकाला की धुँधली आकृतियां सही में मंदाकिनी है। हमारी आकाशगंगा की ही तरह, पर बहुत ही दूर हैं। इस तरह 1924 में हब्ब्ल ने बताया कि एन्ड्रोमेडा और अन्य दूर की नीहारिकाएं आकाशगंगा की ही तरह मंदाकिनियां हैं। इसका मतलब हुआ कि ब्रह्माण्ड में आकाशगंगा से परे और भी मंदाकिनी हैं। एक झटके में उसने हमारी समझ की दृष्टि में, ब्रह्माण्ड का विस्तार कर दिया। ये ब्रह्माण्ड का खत्म न होने वाला फैलाव आश्चर्य चकित करने वाला था। जैसे-जैसे दूरबीन में सुधार हुआ ये साफ होता गया कि कुछ नीहारिकाएं आकार में पेंचदार (चक्करदार) या वृत्ताकार हैं। इस तरह उन्नीसवी शताब्दी के मध्य के बाद ये विचार सबकी प्रतिक्रिया के लिए सामने आया कि आकाशगंगा भी एक वृत्ताकार नीहारिका है। इसलिए किलोमीटर में नापना निश्चित रूप से असंभव था। खगोलविद् को आकाश में दूरी नापने के लिए नई इकाई की जरूरत पडी और ये इकाई थी प्रकाश वर्ष। एक प्रकाश वर्ष का अर्थ है, एक वर्ष में प्रकाश शून्य में जितनी दूरी तय करता है उतनी दूरी। अगर आप आकाशगंगा का आयाम नापें तो आप ये पायेंगे कि इसका व्यास एक लाख प्रकाश वर्ष है और मोटाई एक हजार प्रकाश वर्ष। मंदाकिनयों के अध्ययन से खगोलविज्ञान ने ब्रह्माण्ड के निर्माण संबंधी कई रहस्यों से पर्दा हटाया है।

Related Videos