Stars in the Sky (H)

सदियों तक हमारे पूर्वज तारों की मदद से दिशा ज्ञान प्राप्त करते थे। मनुष्य ही नहीं विभिन्न जीव-जंतु भी शायद इसी प्रकार दिशाओं की जानकारी से प्रवास यात्राएं करते होंगे। 16वीं सदी के आरंभ में जहाजरानी के तेजी से विकास के चलते व्यापार के लिए भी एक देश से दूसरे देशों के बीच की यात्राओं के काफी वृद्धि हुई। जहाजों से यात्रा करते नाविक और व्यापारी रात में दिशा के लिए तारों की स्थिति पर निर्भर रहते। नार्थ स्टॉर से उत्तर दिशा की पहचान आसानी से हो जाती थी क्योंकि यह हमेशा स्थिर ही दिखता था। दिन के समय दिशाओं की पहचान के लिए सुर्य की मदद ली जाती थी। दिशाओं की पहचान के अलावा खेती-बाड़ी के लिए भी किसान तारों की मदद लेते थे। किसानों के लिए बुआई, सिंचाई, बाढ़ और फसल की कटाई के लिए उपयुक्त समय की जानकारी काफी जरूरी थी। कुछ लोग धार्मिक त्यौहारों और अलग-अलग मौसमों में आने वाले त्यौहारों की तारीख तय करने के लिए भी इन तारों की मदद लेते रहे। वर्षों तक आकाश का निरीक्षण करते हुए खगोलविज्ञानियों ने प्रसिद्ध नायकों एवं जीवों के आधार पर तारों के समुहों को सिंह, मेष, मीन, तुला आदि नाम दिए। विभिन्न देशों में तारामंडलों को वहां के किसी प्रौराणिक पात्र के नाम से भी जाना जाता रहा है। ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी में हुए एक मशहूर यूनानी खगोलशास्त्री टॉलमी ने अपनी पुस्तक में 48 तारामंडलों के नाम दिए। 1919 में इंटरनेशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन नामक संस्था की स्थापना हुई। जिसने अब तक 88 तारामंडलों के नामों को मान्यता दी है।

Related Videos