Little Green Man (H)

न्यूट्रॉन तारे बहुत घने और बहुत भारी-भरकम होते है। हालांकि इनका आकार बहुत छोटा होता है। किसी विशाल तारे के शव ये न्यूट्रॉन तारे बहुत ही अद्भुत खगोलीय पिंड हैं। न्यूट्रॉन तारा अंतरिक्ष में सबसे तेज चक्रण करने वाला पिंड होता है। इसके पीछे भौतिकी का मूल नियम काम करता है कि जब कोई विशाल पिंड घूमता हुआ पिंड अचानक कुछ पलों में इतना छोटा हो जाए तो उसके चक्रण की गति बढ़ जाती है। इसका घनत्व बहुत ही अधिक होता है इतना कि एक शुगर क्यूब में दुनिया भर के इंसान समा जाएं। न्यूट्रॉन तारों के बाहरी हिस्सों से विद्युत चुम्बकीय विकिरणें उत्पन्न होते हैं। इनमें कम ऊर्जा वाली रेडियो तरंगे भी होती हैं और सबसे ज्यादा ऊर्जा वाली गामा विकिरण भी। रेडियो दूरबीनें इन विकिरणों को पकड़ कर कई महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराती हैं। अंतरिक्ष की गहराई से पल्स कर रहे न्यूट्रॉन तारों को वैज्ञानिकों ने पल्सर नाम दिया है। इनकी तुलना जहाजों को राह दिखाने वाले लाईट हाउस से की जाती है। ऐसे पल्सरों ने हमेशा खगोलविज्ञानियों को आकर्षित किया है। भारत में भी जाइंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप यानी जीएमआरटी के तीस एंटेनी अंतरिक्ष की अथाह गहराई से आती रेडियो तरंगों का अध्ययन करते हैं। इसी शोध के बीच एक बहुत कम उम्र का पल्सर मिला जिसका जन्म करीबन 5000 वर्ष पहले हुआ और यह 61 मिलीसेकंड में एक बार घूमता है। एक मिलीसेकंड यानी एक सेंकड का हजारवां हिस्सा। हर पल्सर एक न्यूट्रॉन तारा है लेकिन हर न्यूट्रॉन तारा पल्सर तारा नहीं होता है। खगोलविज्ञानियों का मानना है कि हमारी आकाशगंगा में करीबन दस करोड़ न्यूट्रॉन तारे है। लेकिन अब तक दो हजार से भी कम न्यूट्रॉन तारे खोजे गए हैं।

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