Maritime Economy: Driving India's Growth - (H)

भारतीय पोत परिवहन उद्योग ने, पिछले कुछ वर्षों में व्यापार और वाणिज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की तटरेखा 7500 किलोमीटर से भी अधिक है और इसकी भौगोलिक स्थिति रणनीतिक रूप से दुनिया के महत्वपूर्ण पोत परिवहन मार्गों पर है, इसमें 13 प्रमुख बंदरगाह और 200 छोटे बंदरगाह हैं। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए, बंदरगाह काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 95% से ज्यादा व्यापार, मात्रा और 70% मूल्य के हिसाब से, भारत के बंदरगाहों के जरिए होता है। भारत का लक्ष्य दुनिया के अग्रणी विनिर्माण केंद्रों में से एक बनना है और इसे अपनी अर्थव्यवस्था को 2024 तक 5 लाख करोड़ डॉलर तक ले जाना है, इसलिए भारत के बंदरगाहों को और अधिक कुशल बनने की जरूरत है, ताकि यहां से आयात और निर्यात के लिए सामान तेजी से गुजर सकें। और इसके लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका, जहाज के टर्नअराउंड टाइम में दक्षता में सुधार, बंदरगाहों के आधुनिकीकरण, कंटेनराइजेशन, नेविगेशन और बंदरगाह की सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये सुनिश्चित करना भी जरूरी है, कि भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए, इन बंदरगाहों की क्षमता और दक्षता दोनों को बढ़ाया जाए। सरकार द्वारा बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करने और नए बंदरगाहों के विकास के बुनियादी ढांचे पर जोर देने के साथ, भारत के व्यापारिक निर्यात ने 2021-22 में रिकॉर्ड 418 लाख करोड़ डॉलर का आंकड़ा छू लिया, ये सरकार के लक्ष्य से लगभग 5% अधिक है और पिछले साल की तुलना में इसमें 40% की वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन, निर्यात में वृद्धि होने के बावजूद, एशिया और मध्य पूर्व में हमारे पड़ोसियों की तुलना में, हमने अपने बंदरगाहों और शिपिंग क्षेत्र की क्षमता का उपयोग का अभी भी पूरी तरह नहीं किया है, ये अभी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सिर्फ 1% योगदान देता है। इस क्षमता को बढ़ाने के लिए, भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने, सागरमाला कार्यक्रम और मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 जैसी कई पहल की हैं; जिसमें बंदरगाह परियोजनाओं में 3 लाख करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना की गई है, इस पहल से 20 लाख से अधिक रोजगार पैदा होंगे और 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा, प्रमुख बंदरगाहों के लिए वार्षिक राजस्व क्षमता का रास्ता खुलेगा। इस दो-एपिसोड की विशेष श्रृंखला में, हम भारत में प्रमुख बंदरगाहों के इतिहास और उनके महत्व के बारे में जानेंगे। हम आपको श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट की एक खास यात्रा पर ले जाएंगे, जिसे पहले, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट कहा जाता था, ये पोर्ट पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुगली नदी पर, समुद्र से लगभग 203 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह भारत के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। इसे बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल व भूटान जैसे दो स्थलीय क्षेत्रों से घिरे हिमालयी देशों सहित पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है। यह भारत का एकमात्र नदी के तट पर बसा बंदरगाह है। इसे 1870 में शुरू किया गया था, जिससे यह देश का सबसे पुराना परिचालन बंदरगाह बन गया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ने 2020-21 के दौरान 61.368 मीट्रिक टन कार्गो यातायात और 3189 जहाजों को संभाला था। इस एपिसोड में हम जानेंगे, कि भारत के प्रमुख बंदरगाह रोजमर्रा के आधार पर कैसे कार्य करते हैं और रीयल टाइम कंटेनर ट्रै किंग एप्लिकेशन, आरएफआईडी कंटेनर ट्रैकिंग और पहचान प्रणाली, फुल कंटेनर स्कैनर और कई अन्य आधुनिक सुविधाएं के सुचारू संचालन के में काम आने वाली, प्रौद्योगिकियों पर भी करीब से नज़र डालेंगे। विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में और भी काफी कुछ देखिए, केवल इंडिया साइंस पर।

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