The Mystery of SARS-CoV-2 Mutations (H)

विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में हम, सार्स- कोव 2 और कोविड -19 महामारी के संदर्भ में वायरस के स्वभाव और उत्परिवर्तन को देखेंगे। इसमें हमें जीनोम सीक्वेंसिंग के महत्व का पता चलेगा और इसकी गहन समझ हासिल होगी और अंत में हम हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित और नई स्वदेशी वैक्सीन कॉर्बेवैक्स को देखेंगे। भारत के चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय के सामने वास्तव में एक बड़ी चुनौती, वैश्विक रूप से कोविड महामारी से प्रभावी ढंग से लड़ने में नोवेल कोरोनावायरस के उभरते परिवर्तन की है। जिस दिन से महामारी शुरू हुई है, इस वायरस में हजारों उत्परिवर्तन हुए हैं और दुनिया के कुछ हिस्सों में इनमें से कुछ उत्परिवर्तन अधिक संक्रामक हो गए हैं। वायरस के परिवर्तित रूपों को म्यूटेंट या वैरिएंट के रूप में भी जाना जाता है। कोरोनवायरस के ये वैरिएंट दुनिया भर में कोविड -19 के केसों में नए उछाल ला रहे हैं। इसलिए उनके प्रसार को कुशलतापूर्वक जांचने के लिए, उनके प्रकार और उत्परिवर्तन को समझना बेहद जरूरी है। विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में हमें इन वायरल म्यूटेशन की बेहतर समझ मिलेगी। हम यह भी देखेंगे, कि भारत कैसे वायरल म्यूटेशन को ट्रैक और ट्रेस करने की एक कुशल और प्रभावी प्रणाली बनाने के लिए अनुसंधान प्रयोगशालाओं का एक मजबूत नेटवर्क बना रहा है, जो एक आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान का लाभ उठाने की एक महत्वपूर्ण पहल है। हम वायरल जीनोम सीक्वेंसिंग को गहराई से समझेंगे और यह सार्स- कोव 2 को पहचानने तथा उसका नैदानिक परीक्षण करने में वैज्ञानिकों की मदद कैसे कर रहा है और बीमारी फैलने के प्रबंधन के लिए, टीके और अन्य उपकरण विकसित करने में कैसे मददगार है, इन सबकी गहन जानकारी लेंगे। अंत में हम हैदराबाद स्थित दवा कंपनी बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित की जा रही नई स्वदेशी कोविड वैक्सीन - कॉर्बेवैक्स पर एक नज़र डालेंगे और यह भी समझेंगे, कि भारत सरकार ने इस कंपनी को 30 करोड़ रूपये अग्रिम क्यों दिए है। इसके अलावा और भी बहुत कुछ देखेंगे, केवल इंडिया साइंस ओटीटी प्लेट फॉर्म पर।"

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