Shyam Kanak: A New Healthy Wheat (H)

"`श्याम कनक`: अ न्यू हेल्दी व्हीट आमतौर पर गेहूँ सुनहरे रंग का होता है, लेकिन गेहूँ की एक नई किस्म काले, बैंगनी और नीले रंग की भी है, जो लोकप्रिय हो रही है। गहरे रंग की होने के कारण इसे 'श्याम कनक' कहते हैं! वैज्ञानिकों का कहना है, कि यह अधिक गुणकारी है। इसका दाना रंगीन होता है। यह जीएम फसल नहीं है, क्योंकि इसे आनुवंशिक इंजीनियरिंग के उपयोग से नहीं, बल्कि पारंपरिक संकरण विधि से विकसित किया गया है। राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (नाबी), मोहाली, पंजाब में डॉ. मोनिका गर्ग द्वारा बेहतर पोषण गुणवत्ता वाले इस एन्थोसाएनिन जैव-फोर्टिफाइड रंगीन गेहूं को विकसित किया गया है। डॉ. गर्ग बताती हैं, 'दीर्घकालिक मोटापा, कुपोषण या पर्यावरण के प्रदूषक, शरीर में चिरकारी ऑक्सीकरणी तनाव का कारण बनते हैं,जिसकी वजह से मुक्त करणियों और कोशिकीय अविनियमन का स्तर बढ़ जाता है । उस स्थिति में, हमारा शरीर मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, उम्र बढ़ने आदि जैसे जीवन शैली विकारों से ग्रस्त हो जाता है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट के सेवन से हमारे शरीर से मुक्त करणियों को हटाने में मदद मिलती है और इस तरह जीवन शैली से होने वाले विकारों को रोका जा सकता है। एन्थोसाएनिन अच्छे एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, जामुन आदि जैसे फलों में मौजूद होते हैं। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में रंगीन फल होने चाहिए और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने के लिए हमें प्रतिदिन 500 ग्राम ऐसे फलों को लेना चाहिए। एन्थोसाएनिन से भरपूर रंगीन गेहूं का रोजाना सेवन इस फलों का एक व्यवहारिक विकल्प है। यह ज्यादा शक्कर लेने के हमारे डर को खत्म करता है और हमारे शरीर में नई जान डालने और फलों के गुणों को अपनाने का एक विकल्प देता है। इसमें सामान्य गेहूं की तुलना में फाइबर, लौह और जस्ता में भी अधिक है। किसान कम उपज के बावजूद इसे अपना रहे हैं, लेकिन इसे बाजार की जरूरत है और हमारे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को इस नई 'श्याम कनक' को अपनाना चाहिए।"

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