Fog Prediction (H)

"प्रकृति और प्राकृतिक घटनाएं अद्भुत हैंए और अद्भुत हैं मानवजन के साथ इनका संबंध भी। मौसमों तक सीमित रहेंए तो इसके कुछ रंग हमारे मूड को खुशगवार बनाते हैंए तो कुछ शरीरिक और मानसिक रूप से कष्ट का कारण बनते हैं। कोहरे का प्रकोप एक ऐसी ही विकट दशा हैए जो उत्तरी भारत में सदियों से हर साल लोगों के जीवन में परेशानी का सबब बनती है। यदि हम कोहरे का सटीक पूर्वानुमान लगा सकें तो इससे होने वाले नुक्सान को न्यूनतम कर सकते हैं फाॅगण्ण्ण्कोहरा या धुंध आम लोगों के लिए एक पहेली और रहस्य रहा है। कोहरा मौसम का एक रौद रूप हैए जिसे भारत को हर सर्दियों में झेलना पड़ता है। दिसंबर.जनवरी के दौरान अनुकूल मौसमी दशाओं के कारण सिंधु.गंगा के मैदानी क्षेत्र में कोहरे का विकट प्रकोप होता है। प्रत्येक वर्ष कोहरे के प्रकोप से अनेक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैंए आर्थिक नुक्सान होता है और ऐरोसाॅल का देश भर में प्रवाह हो जाता है। कोहरा बनने से जुड़ी अनिश्चितताओं और इसके भौतिक रासायनिक गुणों से संबंधित पहलुओं ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को आकर्षित किया है। कोहरा जमीन पर तैरता बादल हैण्ण्ण्मौसम वैज्ञानिक रूप से जब दृश्यता 1000 मीटर से कमए और सापेक्षिक आर्द्रता 75 प्रतिशत से अधिक हो जाती हैए तो हम इसे कोहरा कहते हैं। बादल की तरह कोहरा भी पानी की लाखों सूक्ष्म बूंदों या बर्फ के कणों से बनता हैए जो धरती की सतह के पास की हवा ठंडी होने और इनके भीतर की जलवाष्प के संघनित होने से बनती है। कोहरा एक जटिल लेकिन सामान्य मौसमी घटना हैए तापीय विकिरण से रात भर भूमि की सतह का ठंडा होना कोहरा बनने की विशिष्ट आवश्यक दशा हैए जो सतह के पास की हवा को भी ठंडा कर देती है। इससे हवा की नमी या जल.वाष्प धारण करने की क्षमता कम हो जाती हैए जो सामान्य रूप से हवा में मौजूद होती हैए और जिसे आमतौर पर आर्द्रता कहा जाता है। धीरे धीरे जब जल वाष्प से हवा पूरी तरह संतृप्त हो जाती हैए तो पानी की बूंदें संघनित होने लगती हैं और यह गैस एक बार फिर पानी या हवा में बदल जाती है। पानी की यही बूंदें हवा में तैरती रहती हैं और घनी धुंध या कोहरे की तरह नजर आती हैं। कोहरा कई प्रकार का होता हैए और प्रत्येक अलग दशा में बनता है। लेकिन भारत में आमतौर पर रेडियेटिव और एडवेक्टिवए दो प्रकार का कोहरा होता है। उत्तर भारत में हर साल औसतन 62.80 दिन कोहरा पड़ता हैए इस क्षेत्र में भूमि.उपयोग में बदलाव और प्रदूषण में बढ़त मुख्य रूप से कोहरे में बढ़ते प्रकोप के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए हाल में कोहरे के पूर्वानुमान को मौसम संबंधित अनुसंधान में प्रमुखता दी गई है। जलवायु वैज्ञानिक आपसी सहयोग द्वारा कोहरे को बेहतर ढंग से समझने और इसके पूर्वानुमान को सुधारने का कार्य कर रहे हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू की गई नई परियोजनाओं के सफल और प्रभावी क्रियान्वयन के कारण इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डाए नई दिल्ली में 2010 से 2014 की सर्दियों के मुकाबले 2014.18 के दौरान कोहरे की निगरानी और पूर्वानुमान में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। ये परियोजनाएं हैंः 13 स्वदेशी ष्रनवे. विज़िबिलीटीष् मापने वाले ष्दृष्टिष् उपकरणों की स्थापना। विंटर फाॅग एक्सपेरिमेंट यानि वाइफेक्स ए पूर्वानुमान प्रदर्शन योजना.कोहराए 2014 से 18ए और आरजीबी फाॅग प्रोडक्ट के लिए इनसैट 3डी आधारित कोहरा पता लगाने की नई प्रणालीै। भारत मौसम विज्ञान विभागए आई एम डीए नई दिल्ली और भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थानए आई आई टी एमए पुणे ने संयुक्त रूप से कोहरे के पूर्वानुमान कौशल को सुधारने का बीड़ा उठाया है। कोहरा बनने के विभिन्न कारणों और मापदंडों को लगातार तीन सर्दियों तक जांचने.परखने के लिए वर्ष 2015 से 18 के दौरान विंटर फाॅग एक्सपेरिमेंट यानी वाईफैक्स नाम से एक संयुक्त मिशन लागू किया गया। वाईफैक्स की सहायता से कोहरे के विभिन्न भौतिक तथा रासायनिक पहलुओं को बेहतर ढंग से समझा जा सका। गहरे कोहरे का प्रकोप रनवे पर कम दृश्यता के कारण विमानन सेवा को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इस दशा में एटीसी द्वारा विमान के सुरक्षित उतरने या उड़ने के बारे में सूचना आधारित सही निर्णय लेना कठिन हो जाता है। परिणामस्वरूप उड़ानों में देरीए निरस्तीकरण या मार्ग परिवर्तन होता हैए जिससे विमानन क्षेत्र को भारी आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ता है। सीएसआईआर. एनएएलए ने ष्दृष्टिष् नामक स्वदेशी रनवे दृश्यता प्रणाली का डिज़ाइन तथा विकास किया। दृष्टि एक ट्रांसमिसोमीटर है जो वातावरण में प्रकाश संचरण से संबंधित कुछ मापदंडों को मापकर रनवे दृश्यता के रेंज का पता लगाता है। दृष्टि प्रकाश के संचरण या प्रकाश की तीव्रता में कमी के सि़द्धांत पर काम करता है। दृष्टि हवाई अड्डों पर संचालक के लिए उपयोगी है। यह विमान चालकों को रनवे पर उपलब्ध दृश्यता की सूचना देती है। अब तक देश में कुल 101 दृष्टि प्रणालियां लगाई जा चुकी हैं। दृष्टि एक मील का पत्थर बन गई हैए जिसकी उपयोगकर्ताओं द्वारा सराहना भी की जा रही है। ष्मेक इन इंडियाष् के इस उत्पाद ने पिछले अनेक वर्षों में अनेक पुरूस्कार व सम्मान प्राप्त किए हैं। दृष्टि प्रणालियों से युक्त कोहरा पूर्वामुमान क्षमताओं में सार्थक वृद्धि हुई है जिससे विमानन क्षेत्र में सुरक्षा का उच्च स्तर सुनिश्चित हुआ है। अब कोहरे के बनने से लेकर छंटने तक की हमारी समझ पहले से कहीं बेहतर है और लोगों को कोहरे के पूर्वानुमान के मुताबिक अपनी गतिविधयों को नियोजित करने के लिए संवेदनशील बनाया जा रहा है। वैज्ञानिक पूर्वानुमान के कौशल को और अधिक परिश्रम कर रहे हैं ताकि कोहरे से त्रस्त क्षेत्रों में इसको बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। "

Related Videos