Science Time (H) - 10/06/2022

कुछ साल पहले तक स्टार्टअप के मामले में दूर-दूर तक भारत की कोई गिनती नहीं की जाती थी, मगर आज स्टार्टअप और इनोवेशन के क्षेत्र में भारत ने एक लंबी छलांग लगाई है। वर्ष 2014 में भारत में केवल 300 से 400 स्टार्टअप्स थे, वहीं आज उनकी संख्या 70 हजार तक पहुंच गई है। दिल्ली के प्रगति मैदान में कल बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो 2022 का उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी के ग्लोबल ईकोसिस्टम में भारत टॉप-10 देशों में पहुंचने से ज्यादा दूर नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत, विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ वैश्विक नवाचार केन्द्र के रूप में भी उभर रहा है। ज़ाहिर है, स्टार्टअप क्षेत्र में अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं. यही कारण है कि आजकल माता पिता भी अपने बच्‍चों को प्रेरित करने लगे हैं कि वे सरकारी नौकरी के बजाय स्टार्टअप क्षेत्र में अपना काम शुरू करें. मगर सवाल ये है कि स्टार्टअप के माध्यम से अपना भविष्य बेहतर बनाने के लिये क्या कुछ किया जाना चाहिए ? कोई भी स्टार्टअप शुरू करने में पेटेंट की क्या भूमिका होती है ? स्टार्टअप के लिए फंडिंग पाने के तरीके क्या-क्या हैं ? स्टार्टअप में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए ? क्या है स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना और इससे इनोवेशन को बढ़ावा कैसे मिलेगा ? इन तमाम सवालों के विश्वसनीय जवाब दे रही हैं - IPRGENIE LLP की को-फाउंडर एवं निदेशक डॉ. अंजलि जेटली और अखिलदेव आईपीआर एन्ड रिसर्च सर्विसेज की डॉ. कुमारी लिपि।

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