Reach for the Stars - Bharatiye Vaastukala Series (H)

इस कड़ी में खगोल विज्ञान में भारतीय योगदान को समझने का प्रयास करेंगे। इस कड़ी में हमारा ध्यान जय सिंह द्वारा 1724 और 1737 के बीच डिजाइन और विकसित की गयी खगोलीय वेधशालाओं पर होगा। इन वेधशालाओं में से सबसे अच्छे से जयपुर की वेधशाला को संरक्षित रखा गया है। हम यहां दुनिया की सबसे बड़ी सूर्यघड़ी, एस्ट्रोलैब और अन्य उपकरणों की कार्यविधि को समझ सकते हैं। हम यह पता लगाते हैं कि आकार, भवन निर्माण सामग्री, ज्यामिति और एक स्थान के अक्षांश और देशांतर आदि सभी मिलकर इन संरचनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस कड़ी में खगोल विज्ञान में भारतीय योगदान को समझने का प्रयास करेंगे। इस कड़ी में हमारा ध्यान जय सिंह द्वारा 1724 और 1737 के बीच डिजाइन और विकसित की गयी खगोलीय वेधशालाओं पर होगा। इन वेधशालाओं में से सबसे अच्छे से जयपुर की वेधशाला को संरक्षित रखा गया है। हम यहां दुनिया की सबसे बड़ी सूर्यघड़ी, एस्ट्रोलैब और अन्य उपकरणों की कार्यविधि को समझ सकते हैं। हम यह पता लगाते हैं कि आकार, भवन निर्माण सामग्री, ज्यामिति और एक स्थान के अक्षांश और देशांतर आदि सभी मिलकर इन संरचनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Related Videos