Water: Augmenting Infrastructure, Improving Distribution (H)

जल ही जीवन का अमृत है - क्योंकि इसके बिना हमारी पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है - और इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है, कि सभी लोगों तक स्वच्छ जल की पहुंच को आज एक बुनियादी मानव अधिकार माना जाता है। इसलिए ताजे पानी की उपलब्धता और उसे लोगों तक पहुंचाना, राज्य और केंद्र सरकारों का प्राथमिक लक्ष्य माना जाता है। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और सामाजिक आर्थिक विकास की वजह से 2050 तक शहरी औद्योगिक और घरेलू पानी की मांग में, 50 से 80% की वृद्धि होने की उम्मीद है। जबकि शहरी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के कारण पानी की कमी से जूझ रहे हैं, शहरी विकास के पैटर्न के हिसाब से, शहरी क्षेत्रों में पाइप से पानी की आपूर्ति और वितरण को सुनिश्चित करने और वितरण नेटवर्क के दौरान, कम से कम पानी की बर्बादी सुनिश्चित करना, अधिकारियों और नगर निगमों के लिए एक गंभीर चुनौती है। एक अनुमान है कि 90 प्रतिशत शहरी भारत के पास, पाइप या पानी के टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंच रहा है। ये विश्व बैंक का आकलन है। लेकिन बाकी दुनिया की तरह भारत के शहरी जल वितरण में भी, पानी की आपूर्ति के दौरान पानी बरबाद होता है, इसमें रिसाव और टूट-फूट के कारण बड़ी चुनौतियां सामने आती हैं, जैसे कि काफी सारा पानी दूषित और बर्बाद होता है। भारत की लगभग 40% आबादी फिलहाल शहरों में रह रही है, और 2050 तक इसके 60% से ज्यादा होने की उम्मीद है। 31% शहरी घरों में या तो पाइप के जरिए पानी की पहुंच नहीं है या उन्हें दूषित पानी मिलता है। कई शहरों में मौजूदा जल आपूर्ति और वितरण का बुनियादी ढांचा काफी पुराना है और अब इसमें बदलाव की जरूरत है। इस स्थिति से निपटने के लिए , जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन की शुरुआत की है , जिसका लक्ष्य 2024 तक भारत के सभी घरों में पाइप के जरिए पानी पहुंचाना है। इस मिशन के तहत, समस्त शहरी जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे, सरफेस वॉटर डायवर्जन, पंप, ट्रांसमिशन पाइप, नहरें, उपचार व भंडारण सुविधाओं, तथा वितरण नेटवर्क का, रीहैबिलिटेट, और अपग्रेड किया जाएगा और अगर जरूरी हुआ तो प्राथमिकता के आधार पर इसका निर्माण भी किया जाएगा।

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