India's Battle for Oxygen Supply (H)

"विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में, हम कोविड की दूसरी लहर की पृष्ठभूमि में, मानव जीवन को बनाए रखने में ऑक्सीजन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानेंगे; आखिरकार यह पृथ्वी पर जीवन का आधार है। इसमें हम समझेंगे, कि कोविड की घातक बीमारी होने पर श्वसन तंत्र को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत क्यों होती है और कैसे गंभीर मामलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति से डॉक्टर को रोगियों के इलाज में समय मिल सकता है? गैजेट्स का उपयोग करके हम अपने शरीर में ऑक्सीजन स्तर की निगरानी कैसे कर सकते हैं, और कैसे भारत सरकार ने डीआरडीओ को स्वदेशी एलसीए विमान तेजस में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए, देश भर के अस्पतालों में तेजी से 500 ऑक्सीजन उत्पादित करने वाले संयंत्र स्थापित करने का मिशन दिया है? 2020 में, कोविड महामारी के आने से पहले, भारत में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग, लगभग 1000 टन प्रति दिन थी। पहली कोविड लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग तीन गुना बढ़कर 3000 मीट्रिक टन हो गई। हमने उत्पादन बढ़ाकर बिना किसी समस्या के इस मांग को पूरा कर लिया था। लेकिन फिर अप्रैल 2021 में दूसरी कोविड लहर ने देश में दस्तक दी और कुछ ही दिनों में ऑक्सीजन की मांग कोविड की पहली लहर वाले दिनों के मुकाबले 9 गुना बढ़कर 9200 टन प्रति दिन हो गई। एक देश के रूप में हम भारी लॉजिस्टिक चुनौतियों पर काबू पाकर, एक महीने के भीतर उच्च शुद्धता वाली औद्योगिक ऑक्सीजन को परिवर्तित करके इस असंभव मांग को भी पूरा करने में सक्षम होंगे। भारत सरकार द्वारा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर इस तरह की पहल, पिछले कुछ हफ्तों में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को उन्नत बनाने के प्रयासों का हिस्सा हैं। इससे हमें दृढ़ संकेत मिले हैं, कि अगले कुछ महीनों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोविड वायरस को हराने में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे - फिर चाहे वह दवाएं हों, उपचार की बेहतर नियामावली हो या फिर कोविड के टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका को उस स्तर तक पहुंचाना हो, जहां अब से पहले दुनिया ने कभी नहीं देखा , ये सब कुछ हमें एक आत्मनिर्भर भारत के लिए करना ही होगा।"

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