DST-IIA - short video (H)

भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) की स्थापना के 50 साल हो चुके हैं जहाँ लोगों ने ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। आईआईए ने हमेशा खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी एवं इनसे संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के अध्ययन के महत्व पर हमेशा ही जोर दिया है। 1870 के दशक में आईआईए बस एक वेधशाला थी जिसका नाम था मद्रास वेधशाला। उन्होंने सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के कई अवलोकन किए और एक समिति को कोडाइकाल में वेधशाला स्थापित करने का काम सौंपा गया। कवलूर के आसपास बढ़ते प्रदूषण के कारण एक नई वेधशाला की आवश्यकता थी। इसलिए, हिमालयन रेंज में एक नई साइट को चुना गया और इसी तरह हनले में साइट की पहचान की गई। कम वायुमंडलीय जल वाष्प के कारण हानले में बादल रहित आकाश इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वेधशालाओं से एक बनाता है। हालांकि, दुर्गमता को इसका सबसे अच्छा लाभ मिला। वैज्ञानिक एक 30 मीटर लंबी दूरबीन का निर्माण कर रहे हैं जो संभवतः किसी भी अतिरिक्त-स्थलीय जीवन का पता लगाने में सक्षम होगी। आईआईए आज एक विश्वस्तरीय संगठन है।