Maritime Economy: Driving India's Growth Part - 2 (H)

दुनिया का 80 प्रतिशत से अधिक व्यापार और भारत के आयात और निर्यात के 90 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय कार्गो की ढुलाई समुद्री मार्गों से की जाती है। भारत दुनिया का 16वां सबसे बड़ा समुद्री देश है। हमारा पोत परिवहन और शिपिंग उद्योग यहां के व्यापार और वाणिज्य का एक अटूट हिस्सा है। भारत के बढ़ते निर्यात के साथ, बढ़ती घरेलू मांग और 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए, बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण करना और इसकी वैश्विक कनेक्टिविटी के लिए, अत्याधुनिक सिस्टम और सॉफ्टवेयर से जुड़ना बेहद जरूरी है। भारत सरकार ने अपने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए, सागरमाला जैसी पहल के साथ एक रोडमैप तैयार किया है। बढ़ते कार्गो ट्रैफिक को संभालने के लिए, 2025 तक भारतीय बंदरगाहों की क्षमता को 3 अरब 30 करोड़ टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने के लिए, भारत का उन्नत और अत्याधुनिक तकनीकों का एक मजबूत आधार बनाने का विचार है। भारतीय बंदरगाहों पर प्रमुख निर्यात और आयात प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में, जरूरी कदम उठाए गए हैं, जिससे कि लोगों के बीच व्यापारिक संवाद और कागजी कार्रवाई को कम किया जा सके। सभी प्रमुख बंदरगाहों पर आरएफआईडी यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन डिवाइस की सुविधा शुरू की गई है, ताकि दस्तावेजों की जांच में पर्याप्त कटौती हो और पोर्ट के गेट पर यातायात की बिना रूकावट आवाजाही हो सके। लॉजिस्टिक्स डेटा सेवाओं जैसी हालिया कंटेनरों को ट्रैक करने की तकनीकों का, Upgradation और integration किया गया है, ताकि वास्तविक समय में ट्रेकिंग की जा सके। और कंटेनरों को खोले या उतारे बिना स्कैन करने के लिए एडवांस कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम को भी अपनाया गया है। अपने पिछले एपिसोड में हमने कोलकाता में श्यामाप्रसाद मुखर्जी पोर्ट की यात्रा की थी और देखा था, कि कैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी इस unique 3 riverine Port में जहाजों को नेविगेट करने और सुरक्षित मार्ग उपलब्ध कराने में मदद करती है। इस एपिसोड में हम भारत के सबसे पुराने बंदरगाह के इतिहास की पड़ताल करते हुए, अपनी यात्रा जारी रखेंगे और आपको कंटेनर ट्रैकिंग और बंदरगाह के अंदर व बाहर कंटेनरों की सुचारू आवाजाही के लिए, स्कैनिंग जैसी डॉक पर लागू की जा रही नवीनतम तकनीकों से रूबरू करवायेंगे। जहाजों के टर्नअराउंड समय को काफी हद तक कम करने और बंदरगाहों की दक्षता को बढ़ाने के लिए, अपनी तरह की एक लॉक गेट सुविधा भी दिखाऐंगे, जिसकी वजह से हमारा मुनाफा भी बढ़ा है। हम श्यामाप्रसाद मुखर्जी पोर्ट द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं और नदी के बंदरगाह पर, केप आकार के जहाजों को संभालने के अभिनव तरीके पर भी एक नज़र डालेंगे। विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में और भी काफी कुछ देखिए केवल इंडिया साइंस पर।

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