Har Gobind Khorana (H)

प्रोफेसर हर गोविंद खुराना ने जेनेटिक कोड को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होने कृत्रिम जीन का संश्लेषण किया। अपने छह दशकों के शोधकार्य में डॉ. खुराना ने रसायनविज्ञान और वनस्पति विज्ञान में 500 शोधपत्र दिए। ये डॉ. खुराना के शोधकार्यों का ही योगदान है जो विज्ञान जगत को जेनेटिक इंजीनियरिंग की एक नवीन विधा मिली। जेनेटिक कोड को समझने और प्रोटीन सिंथेसिस में इसकी भूमिका को बताने के लिए 1968 में डॉ. खुराना को फिज़ियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रोबर्ट डबल्यू होली के साथ संयुक्त रुप से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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