The 5G Chakravyuh and India’s strategy (H)

भारत के लिए, 5G की वैश्विक महाभारत पर बात करना और उसके बारे में अपना रूख साफ करना बहुत महत्वपूर्ण है। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं, जो आपस में काफी जुड़ी हुई है। आज मोबाइल दूरभाष और स्मार्ट फोन सभी जगह उपलब्ध हैं। इनमें से एक अरब से अधिक डिवाइस डिजिटल इंडिया की मदद कर रहे हैं। नई दिल्ली ने पहले 2G या दूसरी पीढ़ी के मोबाइल के बारे में सुना था, अब यह धीरे-धीरे 5G या पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल तकनीक और उससे आगे की ओर बढ़ रही है। आज भारत के लिए मुख्य आधार 4जी तकनीक है और इस पर काफी बहस भी चल रही है, कि 5जी को कैसे लागू किया जाए। 4जी तक भारत मुख्य रूप से विदेशी मानकों और आयातित तकनीक पर निर्भर था। अब 5जी के आने के साथ, भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने 5जी-I या 5जी इंडिया स्टेंडर्ड्स के माध्यम से कुछ मानकों को निर्धारित करने में मदद की है। 5जी भारत की कैसे मदद करेगा क्योंकि इसे पश्चिमी दुनिया के लिए अनुकूलित किया गया है? इसे भारत के विशाल ग्रामीण इलाकों के अनुरूप कैसे बनाया जाएगा? क्या 5जी वास्तव में 'डिजिटल इंडिया' को बदल देगा? क्या यह 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' की क्रांति में मदद करेगा या फिर वास्तव में, ये महज एक प्रचार है? और इन सब बातों का भारत के उद्योगों पर क्या असर होगा? फिलहाल ज्यादातर अकादमिक संस्थान ही, भारत में 5जी के विकास की अगुवाई कर रहे हैं। 5जी नेटवर्क तकनीक को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं कौन सी हैं, और क्या हमें वास्तव में इतनी चिंता करने की ज़रूरत है, या फिर केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय उद्योग, चीन के तकनीकी प्रभुत्व को लेकर चिंतित हैं। इन सभी सवालों और जिज्ञासाओं के साथ 5जी परीक्षण स्थल पर एक नज़र डालेंगे। ये भारत में अपनी तरह की एक अनूठी सुविधा है। लेकिन क्या 5जी पर भारत की बात दुनिया सुनेगी ?

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