Sehat Ki Baat: Yoga in Space with Anti-Gravity Body Suit - (H) 28/06/2022

पृथ्वी पर दिन-प्रतिदिन संसाधनों की कमी होती जा रही है. जबकि इंसानों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. हमें भविष्य में कहीं और बसना पड़ सकता है. ऐसे में हमें, किसी और ग्रह की, जगह की तलाश करनी होगी. इंसानों के लिये उपयुक्त ग्रह खोजने की शुरुआत होती है – एक प्रश्न से – क्या हमारी सभ्यता का भविष्य अंतरिक्ष में है ? 12 अप्रैल, 1961 को अंतरिक्ष जाने वाले पहले शख़्स थे - यूरी गागरिन. गागरिन को ऐसे प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिससे कई सवालों के जवाब मिलने थे. जैसे कि क्या मनुष्य अंतरिक्ष में जीवित रह सकता है? क्या अंतरिक्ष यान से यात्रा की जा सकती है? क्या अंतरिक्ष यान का पृथ्वी से संपर्क बना रहेगा जो प्रभावी भी हो? क्या अंतरिक्ष यान की सुरक्षित वापसी हो पाएगी? इस यात्रा से इन सभी सवालों के जवाब मिल गए. तब से लेकर अब तक में स्पेस टेक्नोलॉजी में काफी प्रगति हो चुकी है. मगर चुनौतियां आज भी बनी हुई हैं. हम जानते हैं कि अंतरिक्ष में जब अंतरिक्ष यात्री पहुंचते हैं, तो उनके शरीर का वजन शून्य हो जाता है। देश की प्रतिष्ठित संस्था एम्स ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक ऐसा बॉडीसूट तैय।र किया है, जो अंतरिक्ष में उनके वजन को 70% से अधिक बढ़ा देगा, ताकि उन्हें तैरने से रोका जा सके। अंतरिक्ष में योग करने के लिए उपयुक्त इस स्वदेशी एंटी ग्रैविटी बॉडी सूट की क्या है ख़ासियत ? अंतरिक्ष यात्रा किसी भी अंतरिक्ष यात्री की मांसपेशियों और हड्डियों के कामकाज पर किस प्रकार का प्रभाव डालती है? फिजियोलॉजी की किन बातों का ध्यान रख कर दैनिक जीवन को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ? इन तमाम सवालों के विश्वसनीय जवाब दे रहे हैं - एम्स नई दिल्ली के फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. के. के. दीपक।

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