Raising Cattle, Improving Livelihoods - (H)

पशुओं को पालना और उससे संबंधित डेयरी फार्मिंग की गतिविधियां, सदियों से मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी आज भी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इसलिए पशुधन और डेयरी फार्मिंग, वित्तीय नजरिए और अपनी आबादी को पोषण प्रदान करने के लिए, इसके सामाजिक-आर्थिक लाभ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी मवेशी आबादी है, अनुमान है कि 2021 में, ये लगभग 30 करोड़ 50 लाख थी यानी कि ये दुनिया की पशु आबादी का लगभग 30% थी । 2021 में ही भारत, ब्राजील और चीन के पशुओं की आबादी, दुनिया के पशुधन का लगभग 65% थी। इस लिहाज से, भारत दुनिया का एक अग्रणी दूध उत्पादक देश है। भारत में डेयरी फार्मिंग पिछले 50 वर्षों में, कृषि जीवन शैली के एक पेशेवर रूप से प्रबंधित उद्योग के रूप में विकसित हुई है, हालांकि भारत में अधिकांश डेयरी किसान, अभी भी पारंपरिक तरीकों से छोटे पैमाने पर ही जानवरों को पालते हैं। लेकिन इन किसानों की उत्पादकता को, उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों जैसेकि पशु प्रजनन, पोषण और नस्ल आधारित पशु चयन आदि से बढ़ाया जा सकता है, जिससे दूध की उत्पादकता में वृद्धि संभव है, और इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इस एपिसोड में हम, अमूल की अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला पर एक नज़र डालेंगे, जहाँ पशु चिकित्सा क्षेत्र के शोधकर्ता, लिंग के आधार पर, वीर्य विकसित करके मादा बछड़ों के जन्म की संभावना को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। ये अनुसंधान लाभकारी साबित हुआ है, इससे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित वीर्य ने 90% से अधिक सफलता दर हासिल कर ली है। हम पशु चारा कारखाने का भी दौरा करेंगे, जो डेयरी सहकारी समितियों को पौष्टिक और जैविक पशु चारा उपलब्ध करवा रहा है और साथ ही उत्पादकता को कम करने वाले मवेशियों पर एंटीबायोटिक दवाओं के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए ,नस्ल आधारित पशु सप्लीमेंट्स का निर्माण भी कर रहा है। विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में और भी काफी कुछ देखिए केवल इंडिया साइंस पर।

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