Promo: Science for a Self-Reliant India 'Sela Tunnel Project' - Making the Impossible Possible (H)

13,000 फुट पर असंभव को संभव बनाती 'सेला टनल परियोजना' सड़कें, पुल और टनल जैसी बुनियादी संरचनायें आर्थिक विकास की सूचक होती हैं और इनसे महत्वपूर्ण आर्थिक तथा सामाजिक लाभ मिलता है। वे राष्ट्र की वृद्धि, विकास, रक्षा और सही मायनों में आत्मनिर्भर बनने के लिए महत्वपूर्ण हैं। रेगिस्तान से लेकर ऊंचे पहाड़ों तक और बड़े पैमाने पर सीमावर्ती क्षेत्र वाले भारत के लिए, देश के दूरदराज के हिस्सों में बनी सड़कें जीवन रेखा का काम करती हैं। इस एपिसोड में इंडिया साइंस की टीम, (बीआरओ) यानी सीमा सड़क संगठन और उसके इंजीनियरों के साथ अरुणाचल प्रदेश से होकर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बलिपारा-चारद्वार तवांग रोड यानी बीसीटी पर यात्रा करती है, जो तिब्बत और चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों से सटी है। बीसीटी राजमार्ग सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सों में से एक है, क्योंकि यह 13700 फीट से अधिक ऊंचाई पर हिमालयी पहाड़ों से होकर सेला दर्रे से गुजरता है। सेला दर्रे में सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी होती है, ये कभी-कभी इतनी तीव्र होती है, कि तवांग और भारत के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचाने वाली सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं। इस एपिसोड में हम आपको 13000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर संपादित की जा रही सेला टनल परियोजना में खुदाई और निर्माण कार्यों की एक विशेष झलक दिखाएंगे और साथ ही आपको जानकारी देगें, कि कैसे बीआरओ इन सामरिक क्षेत्रों में वैज्ञानिक योजना का लाभ उठा रहा है और ठंड तथा भयावह परिस्थितियों में टनल के निर्माण के लिए नई तकनीकों और सामग्रियों का उपयोग कर रहा है। हम सेला टनल में काफी अंदर तक जाने वाले पहले चैनल हैं और सुरंग में एक किलोमीटर के अंदर लगभग 300 किलो के बहरा कर देने वाले नियंत्रित विस्फोट के गवाह बनते हैं। इस तरह की पहल भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत और विशेष रूप से भारतमाला योजना का हिस्सा हैं, जिसके तहत सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त भारत के लिए 34000 KM से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। दिल की धड़कनें बढ़ा देने वाले इस रोमांचक एपिसोड में देखिए, कि कैसे विज्ञान और इंजीनियरिंग, भारत की विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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