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बसु विज्ञान मंदिर, जो बोस संस्थान, कोलकाता के नाम से विख्यात है। आचार्य जगदीश चंद्र बोस ने अपने 60वें जन्मदिन 30 नवंबर, 1917 को राष्ट्र को समर्पित किया था। बोस संस्थान को बहु-विषयक अनुसंधान को समर्पित एशिया का पहला आधुनिक अनुसंधान केंद्र माना जाता है। संस्थान की मूल बहु-विषयक अनुसंधान प्रकृति आज भी अक्षुण्ण बनी हुई है। इसके लिए यहां विभिन्न और विविध विषयों में उच्च कोटि का अनुसंधान किया जाता है, जैसे भौतिकी और जैव-भौतिकी, रसायन और जैव-रसायन, आण्विक चिकित्सा और सूक्ष्मजैविकी और जैव-सूचना विज्ञान आदि। बोस संस्थान को एस्ट्रो-पार्टिकल फिजिक्स, बह्मांडीय किरणों, क्वांटम फिजिक्स और बहु-विषयक भौतिकी में अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। संस्थान में विकसित ज्ञान ने समाज को लाभान्वित किया करने के साथ ही राष्ट्र निर्माण में योगदान भी किया है। बोस संस्थान सच्ची श्रद्धा और पूर्ण समर्पण के भाव से भारत के गौरव तथा विश्व के कल्याण के लिए कार्य कर रहा है।

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