No Friends No Enemies (H)

"ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर. दो भारतीय वैज्ञानिकों की प्रयोगशालाओं में हो रहे अनोखे अन्वेषण की कहानी है. दोनों अलग अलग शहरों में, अलग अलग काम लेकिन दोनों का लक्ष्य एक. खतरनाक रसायनिक कीटनाशकों के विकल्प ढूंढना. ऐसे विकल्प जो पृथ्वी पर जीवन के ताने बाने को सुरक्षित रखें. दोनों वैज्ञानिकों के बीच एक समानता और. दोनों के काम को समर्थन और सहायता मिल रही है भारत सरकार के बायो टेक्नोलॉजी विभाग से. ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर ...ये शोध किसानो और कृषि के लिए लेकिन इस फिल्म में हर आम दर्शक के लिए कुछ विशेष! इसमें है वो चिंता जो हम सबकी सांझी है, हमारे खाने और खाद्य श्रुंखला में बढ़ते विष और उनका निदान. इस फिल्म में वैज्ञानिक और किसान बात करते हैं रसायनिक खेती और उसके प्रभाव की. प्रभाव ना केवल कृषि पर बल्कि जीवन के पूरे ताने बाने पर. कहते हैं ना, रोकथाम इलाज से बेहतर! इसी सोच पर काम करते हुए डॉ. अभय शेन्द्ये ने काम किया और बना डाले पौधों के लिए टीके. उनके टीकों का आधार है पौधों का प्रतिरक्षा तंत्र. पुणे के डॉ. शेन्द्ये को विश्वास था की पौधे सदियों से जिंदा रहे हैं, अनुकूलित होते आये हैं तो ज़रूर उनमें भी तो रोग प्रतिरक्षा प्रणाली होगी. उन्होंने शुरू किया शोध. डॉ शेन्द्ये ने जल्द जान लिया की दुनिया भर में इसी सोच पर काम हो रहा था. उन्हें अद्भुत लगी पौधों और कीट-रोगाणुओं के बीच की बातचीत. मानो पौधों की चेतना. ये फिल्म उस अनोखी बातचीत और भाषा को दर्शाती है जो पौधे और कीट के बीच होती है. कीट के आने पर क्या पौधा अनजान रहता है? क्या उसमें कोई प्रतिक्रिया होती है? इन्हीं अनोखे प्रश्नों का उत्तर है इस फिल्म में. डॉ. शेन्द्ये के सतत प्रयास का नतीजा उनकी सफलता. उन्होंने पौधे की प्रतिरक्षा में काम आने वाले एक मॉलिक्यूल को इस तरह रूपांतरित किया की वो बन गया पौधे के लिए टीका. ये टीका कुछ ऐसा है पौधे को ही सशक्त करता है ताकी जब रोगाणु आये तो वो उनका सामना कर सके. ये टीके, पौधे या फसल को बचाते ही नहीं, रसायनिक कीटनाशक की ज़रुरत को हटा देते हैं. दूसरा वैज्ञानिक दल कृषि वैज्ञानिक सुधा रेड्डी का. उनकी महारत कीट और बैक्टीरिया. सूत्र कृमि की मदद से वो जैविक नियंत्रण में सफलतापूर्वक काम करती आयी हैं. ये फिल्म दर्शकों को कीट जगत के रिश्तों को दिखाती है. किस तरह भारतीय वैज्ञानिक अपनी प्रयोग्शालायों में तकनीक विकसित कर किसानों तक ले जाते हैं, उसका रोचक वर्णन इसमें. रसायनिक खेती भारतीय किसान की समस्या रही है. एक तरफ मिटटी की उर्वरता कम, दूसरी तरफ कीट का वापस पनपना. हमारे देश में किसान हर साल लगभग ३० प्रतिशन उपज कीट के कारण खो देते हैं. विज्ञान प्रसार की प्रस्तुति, ना काहू से दोस्ती ...ना काहू से बैर सजीव खेती में हो रहे शोध की अनोखी कहानी है"

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