India's Solid Waste Management Strategy (H)

"जैसे जैसे भारत की शहरी आबादी तेजी से बढ़ती है - देश को रोज उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा और उसके प्रकार से जुड़ी प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।  वैज्ञानिक और सुरक्षित कचरा निपटान के लिए फिलहाल हमारा बुनियादी ढांचा नाकाफी है - पूरी प्रणाली में उस बिंदु पर चुनौतियाँ और बाधाएँ मौजूद हैं— जहाँ से कचरा पैदा होता है, यानी उसे इकट्ठा करना, उसकी ढुलाई, उसका उपचार और अंत में उसका निस्तारण करना। इसका सीधा प्रभाव न केवल हमारे स्वास्थ्य और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, बल्कि इससे हमारे शहर, गांव, हमारी नदियों और जंगल भी बच नहीं पाते। भारत के शहर, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कचरा उत्पादक हैं। ये हर साल लगभग 27 करोड़ टन कचरा पैदा करते हैं, और 2030 में इसके 38 करोड़ टन और 2050 तक इसके 54 करोड़ टन तक बढ़ने की उम्मीद है। फिलहाल भारत में सभी प्रकार के कचरे का लगभग 80 प्रतिशत लैंडफिल में डम्प किया जाता है जो भारत के शहरों में जहां तहां दिख जाते हैं।  यही हमारे लिए असली चुनौती है - यानी इसे फेंकने से पहले, इसकी छंटाई, रीसाइक्लिंग और खाद में बदलकर इसे कम करना। आज के एपिसोड में हम गहनता से देखेंगे कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम, भारत की सबसे घनी आबादी वाले शहर और दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश की सीमा पर बने एशिया के सबसे बड़े, गाजीपुर लैंडफिल का प्रबंधन, कचरा निस्तारण और कचरे के पहाड़ को कम करने के लिए, किस प्रकार काम कर रहा है। साथ ही हम देखेंगे कि EDMC, ठोस कचरा प्रबंधन में नई तकनीकों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग किस प्रकार कर रहा है, जैसे कि कचरे की छंटाई, ऐसा कचरा भी जो 1984 से दबा पड़ा है, कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने के संयंत्रों का विकास और निर्माण तथा तोड़—फोड़ से पैदा कचरे का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण किस प्रकार कर रहा है। कचरा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है, कि यह रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देता है। ये हमारे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहद जरूरी हैं।"

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