Fortifying India's Defence Part 2 (H)

हमारे देश की विशाल भूमि, समुद्री क्षेत्र और हवाई क्षेत्र की सीमाओं को सुरक्षित और संरक्षित बनाने का दायित्व, भारतीय सशस्त्र बलों को सौंपा गया है। हमारे राष्ट्र की रक्षा में इस महत्वपूर्ण दायित्व के सामने, लगातार बदलती क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक गतिशीलता, कई चुनौतियां पेश करती हैं। युद्ध की प्रकृति भी एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है, इसमें कम तीव्रता वाले संघर्षों, मिसाइलों, हथियारयुक्त ड्रोन, साइबर युद्ध और अधिक घातक हथियारों जैसी उन्नत हथियार प्रणालियों की चुनौतियों के साथ-साथ, संभावित युद्धों के लिए निरंतर सैन्य तैयारियां भी शामिल है। इन सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत अपनी परिचालन तैयारियों की लगातार समीक्षा कर रहा है,​ जिसके तहत वह अपने सशस्त्र बलों को एकीकृत करके, हथियारों को उन्नत बनाकर, रक्षा उत्पादन में नीतिगत संशोधनों के साथ, सैन्य गठबंधनों को मजबूत करके, और इस प्रक्रिया में हथियार प्रणालियों का शुद्ध निर्यातक बनने की बड़ी महत्वाकांक्षा पर काम करते हुए, अपनी रक्षा रणनीति में सुधार कर रहा है। तेजी से बढ़ते भारतीय रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और उद्योगों को 'आत्मनिर्भर भारत' में योगदान करने के लिए, भारत सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए, सेना के पूंजी अधिग्रहण बजट का 68% यानी लगभग 84,000 करोड़ रूपये निर्धारित किये हैं। जोकि निजी उद्योग, स्टार्ट-अप और अकादमिक के लिए, रक्षा अनुसंधान और विकास बजट का 25% अलग रखने के अलावा, स्थानीय रूप से उत्पादित हथियारों और प्रणालियों की खरीद पर खर्च होगा। कई मायनों में इस राष्ट्रीय मिशन का अगुआ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन है, जोकि अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के विकास के जरिए, भारत की युद्ध प्रभावशीलता को लगातार बढ़ाने के लिए, अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने में सबसे आगे है। इस संगठन ने हमारे सशस्त्र बलों को दुनिया के विशिष्ट रक्षा बलों की कतार में खड़ा होने में सक्षम बनाया है। इस विशेष श्रृंखला के पिछले एपिसोड में हमने स्वदेशी मिसाइल विकास क्षमताओं में डीआरडीओ की भूमिका को देखा, इस एपिसोड में हम स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस, भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन और भविष्य में नौसेना के जहाजों पर तैनात किए जाने वाले इलेक्‍ट्रॉनिक युद्धक प्रणालियां के विकास पर भी एक नजर डालेंगे । इसके अलावा विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में और भी काफी कुछ देखिए, केवल इंडिया साइंस पर।

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