Bio-CNG - Turning Waste Into Wealth - (H)

भारत की लगभग 35% आबादी शहरी इलाकों में रहती है और हर साल 7 करोड़ टन से ज्यादा कचरा पैदा करती है - लेकिन कचरे की यह मात्रा तेजी से और बढ़ रही है, और 2030 तक इसके 16 करोड़ 50 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है। शहरीकरण, औद्योगीकरण और आर्थिक विकास की गति के परिणामस्वरूप नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है। कचरे से Recovery और recycling करना, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की सर्कुलर अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण तत्व है और अपशिष्ट प्रबंधन में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि इससे कचरे की मात्रा कम होती है, लैंडफिल साइड ओवरलोड होने से बचती है और इसका उपयोग स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है। 31 लाख से ज्यादा की आबादी वाला, मध्य प्रदेश का इंदौर शहर इस बात का एक शानदार उदाहरण है, कि शेष भारत अपने कचरे का कुशलतापूर्वक प्रबंधन उसकी तरह सकता है। स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट के राष्ट्रीय सर्वेक्षण में इंदौर को लगातार पांच वर्षों के लिए 'सबसे स्वच्छ शहर' का टैग जीतने का गौरव प्राप्त हुआ है, ये रिपोर्ट आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय प्रकाशित करता है, जो लगभग 471 कस्बों और शहरों की देखरेख करता है ​तथा स्थायी स्वच्छता, कचरे के संग्रह व परिवहन, प्रसंस्करण और उसका निपटान करने जैसे क्षेत्रों के लिए स्कोर प्रदान करता है। लेकिन इंदौर के कदम इतना गौरव मिलने के बावजूद नहीं रूके हैं। इंदौर ने एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी संयंत्र की स्थापना के साथ ही अपने ताज में एक नगीना और जड़ लिया है, इस संयंत्र में बायोमेथेनेशन की प्रक्रिया के माध्यम से लगभग 17000 किलोग्राम Compressed Natural Gas का उत्पादन करने के लिए 550 टन गीले कचरे को उपचारित करने की क्षमता है। बायोमेथेनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा जैविक सामग्री को बायोगैस में बदला जाता है, यहां का गोबर धन संयंत्र हर दिन बायो-सीएनजी पर 400 सिटी बसों और 1,500 छोटे वाहनों के संचालन को सक्षम बनाता है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत बायो-मिथेनेशन और कचरे से खाद वाले संयंत्रों की स्थापना, भारत सरकार की गोवर्धन अपशिष्ट से धन योजना का एक हिस्सा है। इस मिशन को संसाधनों से अधिकतम लाभ पाने के लिए "अपशिष्ट से धन" और "सर्कुलर अर्थव्यवस्था" के व्यापक सिद्धांतों के तहत चलाया जा रहा है। तो इस एपिसोड में हम देश के सबसे स्वच्छ शहर, मध्य प्रदेश के इंदौर की यात्रा करेंगे और एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी प्लांट का दौरा करेंगे। हम स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए बायोमेथेनेशन के विज्ञान और गीले कचरे के प्रसंस्करण के बारे में बात करेंगे। हम आपको विशेष रूप से इस विशाल संयंत्र की कार्यप्रणाली दिखाएंगे और पूर्व-उपचारित, अपघटन और वैक्यूम प्रेशर स्विंग एडसरप्शन तकनीक की प्रक्रिया के माध्यम से अलग किए गए गीले कचरे को परिवर्तित करने की प्रक्रिया के पीछे के विज्ञान पर प्रकाश डालेंगे। इसके अलावा और भी काफी कुछ देखिए, विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में, केवल इंडिया साइंस पर।

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