Augmenting India's Ports and Waterways (H)

किसी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए समुद्री परिवहन का काफी महत्व होता है, दुनिया भर का लगभग 80% व्यापार इसी परिवहन पर आधारित है - और भारत का तो 90% व्यापार समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से किया जाता है। हमारे यहां 12 प्रमुख बंदरगाह व लगभग 200 मध्यम और छोटे बंदरगाह हैं और भारत की तटरेखा भी लगभग 7500 किलोमीटर है, जिसकी वजह से इसका लाभ उसे अन्य देशों से ज्यादा मिलता है। हमारे देश में बड़ी—बड़ी नदियाँ भी हैं, जो अंतर्देशीय जल मार्ग उपलब्ध कराती हैं और ये परिवहन का एक व्यवहारिक साधन भी हैं। भारत सरकार की सागरमाला परियोजना के माध्यम से बंदरगाह के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए, भारत के बंदरगाहों का विस्तार करना और उन्हें उन्नत बनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि भारत, मेक इन इंडिया मिशन के जरिए, दुनिया के सबसे बड़े विनिर्माण केंद्रों में से एक बनने पर जोर दे रहा है। हमारे देश के नाविकों को, रात के समय खराब दृश्यता, भारी बारिश और तेज हवाओं जैसी अलग-अलग परिस्थितियों में बंदरगाहों और जलमार्गों को नेविगेट करने के लिए, प्रशिक्षित करना भी बहुत जरूर है। इसके लिए हम अपने नाविकों के प्रशिक्षण के लिए काफी हद तक विदेशों पर निर्भर रहे हैं, ये व्यवहारिक रूप से एक कठिन और महंगा विकल्प है। लेकिन अब स्वदेशी रूप से विकसित प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ, ये परिदृश्य बदल रहा है। अलग-अलग परिस्थितियों में, 360 डिग्री प्रोजेक्शन सिमुलेटर के उपयोग से, जहाजों के जटिल नेविगेशन के लिए, आईआईटी मद्रास में स्थापित नेशनल टेक्नोलॉजी सेंटर फॉर पोर्ट्स, वाटरवेज एंड कोस्ट (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) नाविकों को प्रशिक्षित करने का काम कर रहा है। इस एपिसोड में हम अंतर्देशीय जहाजों और जहाजों के लिए विकसित की जाने वाली और रात में नेविगेशन करने की स्वदेशी प्रणाली को भी देखेंगे। भारत में तकनीकी नवाचारों और क्षमता निर्माण का लाभ उठाने वाली, ये दोनों पहल, आत्मनिर्भर भारत के मिशन का हिस्सा हैं, इसके अलावा और भी बहुत कुछ है, विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में - देखिए केवल इंडिया साइंस पर।

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