21 November 2021 - ISRO: India's Space Journey (H)

इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की उपलब्धियों का गहन अवलोकन करेंगे। भारत 60 वर्षों से भी कम समय में, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्वेषण के क्षेत्र में, विश्व के शीर्ष देशों में शुमार हो गया है। भारत के अतंरिक्ष कार्यक्रम 1962 में, डॉक्टर विक्रम साराभाई के नेतृत्व में शुरू हुए - उस समय ये परमाणु ऊर्जा विभाग का एक हिस्सा था। अंतरिक्ष कार्यक्रमों की स्थापना में, भारत का नजरिया —"अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान और ग्रहों की खोज को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है" । भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का ट्रैक रिकॉर्ड इसकी कामयाबी खुद बयां करता है- इसरो के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने, पृथ्वी अवलोकन, संचार, नेविगेशन, माप-पद्धति और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए, स्वदेशी उपग्रहों और संबंधित प्रौद्योगिकियों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में उपयोग करने के लिए, प्रक्षेपण वाहनों की एक श्रृंखला तैयार और विकसित की है। इसरो के महत्वपूर्ण प्रयासों में, संचार, प्रसारण तथा मौसम विज्ञान के लिए इन्सैट, यानी भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली का विकास और प्रक्षेपण करना और कृषि, जल संसाधन और वानिकी जैसे क्षेत्रों में, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सहयोग देने में आईआरएस यानी भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली की श्रृंखला विकसित करना शामिल है। इसरो ने महत्वपूर्ण रूप से, न केवल भारतीय, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय उपग्रहों को, अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए, पीएसएलवी यानी ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक राकेट और (जीएसएलवी) यानी भूतुल्‍यकाली उपग्रह प्रमोचक राकेट का विकास और संचालन किया है। भारत ने महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण पहल, जैसेकि चंद्रयान, मार्स ऑर्बिटर मिशन, जिसे मंगलयान भी कहा जाता है और एस्ट्रोसैट के प्रक्षेपण में भी सफलता हासिल की है। अगले कुछ वर्षों में इसरो हमारे देश के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण और अग्रणी बनने जा रहे हैं - ये पांच से सात दिनों के लिए, तीन सदस्यीय भारतीय दल को अंतरिक्ष में भेजने और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा देखिए भारत की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर, इसरो और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर समर्पित, हमारी दो एपिसोड की श्रृंखला विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत केवल इंडिया साइंस पर।

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